काश तुम यहाँ होती !
तो तुम्हे लगता है कि क्या तुम इतनी समझ की मालिक हो कि तुम ज़िंदगी की महत्वपूर्ण बातों का अंतर जान लेती हो ?
स्वर्ग और नरक का अंतर
नीले आकाश और दर्द का अंतर
क्या तुम एक हरे रंग के खेत
और कुछ ठंडे लोहे के पटरियों का अंतर पता है?
परदे और एक मुस्कान में क्या अंतर होता है?
क्या तुम्हे लगता है कि तुम इतनी योग्य हो कि इसका पर्दा फर्श कर सको ?
क्याअज्ञानवश तुमने कुछ ऐसा कर दिया कि
भूतों के लिए अपने नायकों को बेच दिया ?
पेड़ों के स्थान पर जलती राख ले ली ?
ताजा हवा की जगह गर्म हवा का व्यापार कर लिया ?
परिवर्तन के बदले ठंडा आराम चुन लिया ?
युद्ध में भूमिका निभाने की जगह
एक पिंजरे में बन्द रहने वाली मुख्य भूमिका स्वीकार कर ली ?
मैं चाहता हूँ, मैं कितना कहता हूँ कि तुम यहाँ होती!
हम केवल दो खोई हुई आत्मआएं हैं
एक मछली कटोरे में तैरती हुई
वर्ष बाद वर्ष,
वही पुरानी डगर पर चलते हुए
हमने क्या पाया है?
केवल वही पुराना डर
काश तुम यहाँ होती!