दुनिया बुला रही और मुझ को है जाना
लग रहा हे डर में क्या करूँ
बस अभी सब कुछ मुझे ही है करना
क्या जाऊं, नहीं
में चरि
देखो है घास मिटटी
मक मरी हरियाली
ठंडी हवाहिये मुझको बुला रही
ये पहली बार मुझको
में गय्ये है आज़ादी
मुझी है चूना, और नाचना
और पागना, और कूदना
और उड़ना, रेहराना
और काना
कुन कु नाना, और चूला
लड़ कडाना, और काब है ना बोलना
शुरू हो गयी मेरी ज़िन्दगी