तूने कहा यह मुझे कभी,
"आज़ादी मांगते हैं सबी!"
यदि एक दिल है आपके पास, उसमें पाखंड नहीं,
तो यहाँ सभी हैं खास,
अकेला कोई नहीं।
हम सब एक हैं
अटूट-औ-मज़बूत
कड़ियाँ ज़ंजीर की,
जिनका पर्याय व्यर्थ
एक साथ हम सब देश हैं, यार व हमनवा,
एक साथ हम एक देश हैं, देश-ए-दुनिया।
बीच हमारे कोई आ नहीं सकता,
न तोड़ सकता है इन ज़ंजीरों को।
बीच हमारे कोई आ नहीं सकता
अगर हम एक हों।
क्या हम समय अनंत से,
एक छत के नीचे नहीं हैं?
अंततः नाम हम सबका, क्या आदमी नहीं है?
अक्स-ए-ज़ंजीर की तरह जुड़े हैं हम
बाखु़दा एक है आदम।
कोई भी हो तुम,
जहाँ के भी हो,
रिश्ता है हमारा,
तुम जहान के भी हो।
हम सब एक हैं,
अटूट-औ-मज़बूत,
कड़ियाँ ज़ंजीर की,
जिसका पर्याय व्यर्थ।
एक साथ हम सब देश हैं, यार व हमनवा,
एक साथ हम एक देश हैं, देश-ए-दुनिया।
क्या हम समय अनंत से,
एक छत के नीचे नहीं हैं?
अंततः नाम हमारा, क्या आदमी नहीं है?
और इस देश-ए-दुनिया में,
मुहब्बत-ए-पादशाही है।
रोशनी है फौज इसकी,
न ज़रूरत-ए-सिपाही है।
हम सब एक हैं,
अटूट-औ-मज़बूत,
कड़ियाँ ज़ंजीर की,
जिनका पर्याय व्यर्थ।
बीच हमारे कोई आ नहीं सकता,
न तोड़ सकता है इन ज़ंजीरों को।
बीच हमारे कोई आ नहीं सकता,
अगर हम एक हों।
एक है हम, एक है हम।