मैं बेशुमार जगहों, बेशुमार लोगों को अलविदा कह चुकी हूँ!
मैंने कभी भी अपने दिल को इतना आहत नहीं महसूस किया ,
मैं यह सोच कर परेशान हूँ कि वक़्त बीत जाएगा
और तुम हमारी इस नियति को भूल जाओगे!
यहां से प्रस्थान करना भयभीत करता है
थकान की अनुभूति हो रही है
नीले आकाश में काले बादल नज़र आ रहे हैं,
गहरे समुद्र में जहाज़ की तबाही की लहरें हैं!
मुझे अपने रेगिस्तान में कोई आश्रय नहीं दिखता
इस भरी दुनिया में बिना प्यार के
लेकिन अगर मैं वापस आती हूं और जैसा कि मुझे लगता है तुम हमारी नियति को भूल चुके होंगे
और मैं दूसरे के लिए अपने कड़वे दिल का आदान-प्रदान करती हूं
मेरी कोशिश होगी कि अब हवाई किले बनाना छोड़ दूँ
और फिर कभी किसी के साथ ऐसी नियति न जिऊँ