भगवान और इन्सान का वही रिश्ता है
जो रूई और कपड़े का है
जिस तरह कपड़े में रूई छिपी है
उसी तरह तू इन्सान में छिपा बैठा है
तू खुद ही उसे बोलता है , तू खुद ही उसे अपने पास बुलाता है
तू खुद ही उसकी ओर से हाँ हाँ करता है
तू मान या ना मान मेरे मनभावन
मैंने तो तुझे अपना भगवान मान लिया है
मुझे ज़रा बता मैं कौन सा दूसरा दरवाज़ा खटखटाऊँ
मैंने तो तुझे अपना भगवान मान लिया है
मैंने अपने मैं की मृत्यु उपरान्त
ही तुझे पाया है
अब तो मेरे सांस एकतारा बनकर यही धुन निकालते हैं कि
मैंने तो तुझे अपना भगवान मान लिया है
तेरे बिना जीना भी कोई जीना है
तेरी चौखट ही मेरा मदीना है
कहीं और शीश झुकाना मुझे मंजूर नहीं
मैंने तो तुझे अपना भगवान मान लिया है
हँसते हँसते हर दुःख सहना
जो तू कर रहा है उसे पूरे दिल से स्वीकार करना
मेरे प्यारे, तूने ही तो मुझे सिखाया है कि प्यार क्या होता है
मैंने तो तुझे अपना भगवान मान लिया है