फिर गलती कर दी, फिर से मै गयी हार
तो क्या हुआ फिर लड़ूँगी एक बार
पहले भी गिरी हूँ, मैं आगे भी गिरूँगी
पर हमें उठ के देखना हैं, क्या हैं उस पार
उड़ना हैं तुम्हें तो गिरने से मत डरो
बुरी हो शुरुआत फिर भी आगे बढ़ो
कोशिश तो की यही हे ज़रूरी मंज़िल को पाना
यह दिल में थाना हैं
हार से ना डरी हूँ और ना ही डरूँगी
जीत क्या होती हैं, यह जनूँगी
ना हार मानी हैं और ना ही मानूँगी
मंज़िल को पाना हैं यह दिल में ठानूँगी
हार से ना डरी हूँ और ना ही डरूँगी
जीत क्या होती हैं यह जानूँगी
ना मानूँगी, ना मानूँगी
ना मानूँगी, ना मानूँगी
आगे भी होंगी नयी नयी ग़लतियाँ
हर रोज़ होंगी कुछ नयी नयी ग़लतियाँ
नयी नयी ग़लतियाँ
ना मानूँगी, ना मानूँगी
ना मानूँगी, ना मानूँगी