वे दिन अतीत में लुप्त हो चुके हैं
जब लड़कियां उसे सुबह उठाने के लिए उसका नाक चूमती थी
वह अपनी पत्नी को देखता है जो कभी युवा थी
लेकिन अब वह उससे कहीं अधिक बड़ी लगती है
और यह सबकुछ कैसे हो गया, इसका पता ही नहीं चला
हमारा आज भी दुष्चक्र में फंसा है, कल भी
प्यार में फंसा हूँ, दुःख में फंसा हूँ
क्षमा करें मेरी गाड़ी , आपके स्टेशन पर नहीं रुकेगी
और मुझे कोई सफाई नहीं देनी
वे दिन अतीत में लुप्त हो चुके हैं
जब लड़के उसके लिए रात को फूल लाते थे
मात्र उसे खुश देखने के लिए
और यह आदमी भी उनमें से एक था, अब वह उसकी पत्नी है
उनके दो बच्चे हैं
वह 9 से 5 तक काम करता है
और पत्नी शीतागार में रहती है
हमारा आज भी दुष्चक्र में फंसा है, कल भी ............