ओ गाके हैं ज़रूरतें छोटी छोटी ज़रूरतें
ना कोई बर्र ना कोई फ़िकर
हाँ जी यह ज़रूरतें क़ुदरत की जो हैं रहमते
हो पूरी ये ज़रूरतें अक्सर
घुमूँ हूँ सारा (x2)
भटके जाऊँ (x2)
घर से ना प्यारा ..कुछ भी पाउ
गुन गुन करते ये छत्ते
हैं टपकते मेरे लिए
हो दिन या हो रैन बस भाड़े दो नैन
यू पत्तों को पहन
भागे चींटी में चैन करके
कल की फ़िकर में क्यू
ये ज़रूरतें कल की ना जाने तू
घूमूँ आवारा भटके जाऊँ
घर से ना प्यारा ...कुछ भी पाऊँ
गुन गुन करते ये छत्ते
हैं टपकते मेरे लिए
हो दिन या हो रैन बस भाड़े दो नैन
यू पत्तों को पहन
भागे चींटी में चैन करके
कल की फ़िकर में क्यू
ये ज़रूरतें कल की ना जाने तू...
ना जाने तू....(x2)
जाने तू...