तूने जो न कहा, मैं वो सुनता रहा ,खामखा बेवजह ख्वाब बुनता रहा
तूने जो न कहा, मैं वो सुनता रहा ,खामखा बेवजह ख्वाब बुनता रहा
जाने किसकी हमें लग गयी है नजर ,इस शहर में ना अपना ठिकाना रहा
दूर चाहत से मैं अपनी चलता रहा, खामखा बेवजह ख्वाब बुनता रहा
आया फिर वो नजर ऐसे , बात छिड़ने लगी फिर से
आँखों में चुभता कल का धुआं
हाल तेरा ना हम सा है, इस खुशी में क्यों गम सा है
बसने लगा क्यों फिर वो जहाँ
वो जहाँ दूर जिससे गए थे निकल, फिर से आँखों में करती है जैसे पहल
लम्हा बीता हुआ दिल दुखाता रहा,खामखा बेवजह ख्वाब बुनता रहा
तूने जो न कहा, मैं वो सुनता रहा ,खामखा बेवजह ख्वाब बुनता रहा