चौखट पे हैं अब ज़ोरो की लहरें
डर कहीं यह ना बहा ले
पहरे लगे, कुछ भी कहे न दे
मेरी जुबां पे हैं ताले
ये है सच्चाई
रोके हैं आंसू इस पल
यूँ क़समें हैं खाई
ना अब मैं सदमे पाँव
चाहूँ रिहाई
तूफ़ानो की हूँ मैं आहट
अब मैं तुमको ना दूँ राहत
खोलूँगी तोड़ूँगी यह पहरे