उलझी मैं तुम्हारी उम्मीदों में
तुम करते मजबूर कि तुम्हारे सभी सपने करूँ में पूरे
मगर मैं दे रही फिर भी तुमको कितनी चिड़चिड़ाहट
और तुम सिर्फ़ चाहते हो मेरा भला
तुम चाहते मैं और रुचि दिखाऊँ
हमेशा बहुत मुसकुराऊँ,बड़ी सी हँसी के साथ,
बनूँ वो गुलाबी सी छोटी उत्तम राजकुमारी,
मगर मैं वैसी बच्ची नहीं हूँ
और उठ रहा मेरे भीतर एक तूफ़ान
नहीं चाहती हमारी छिड़ जाए जंग
हों रहा कठिन अब साँस लेना
दिल में होता एक दर्द गहरा
जैसी मैं हूँ, मुझे रहने दो
यही सिर्फ़ तुमको समझने की हैं ज़रूरत
और मैं बहुत उम्मीद करती हूँ यह दर्द
अब चला जाये
यह अब मुझे प्रताड़ित कर रहा,
और मैं नहीं छुड़ा पा रहीं खुद को,
इसलिये मैं रोती और रोती ही जाती,
पर सिर्फ़ चाहती हूँ निकले अब बाहर
एक शान्त चीख़
बताओ क्यूँ तुम बनाते दबाव मुझपे
और हर दिन तुम पहुँचाते मुझे नुक़सान
यही वजह हैं जिससे मैं महसूस करती अकेला
चाहे तुम ले लो मुझे बाहों में
रखना चाहते हो मुझे चमकीले डब्बे ले
मगर में सिर्फ़ सही समझना चाहती हूँ
और अब तुम महसूस करते बहुत बहुत बुरा
क्यूँकि मैंने तुमको कर दिया निराश
और उठ रहा मेरे भीतर एक तूफ़ान
नहीं चाहती हमारी छिड़ जाए जंग
हों रहा कठिन अब साँस लेना
दिल में होता एक दर्द गहरा
जैसी मैं हूँ, मुझे रहने दो
यही सिर्फ़ तुमको समझने की हैं ज़रूरत
और मैं बहुत उम्मीद करती हूँ यह दर्द
अब चला जाये
यह अब मुझे प्रताड़ित कर रहा,
और मैं नहीं छुड़ा पा रहीं खुद को,
इसलिये मैं रोती और रोती ही जाती,
पर सिर्फ़ चाहती हूँ निकले अब बाहर
एक शान्त चीख़
क्या नहीं देख सकते
कैसे मैं रोती पुकारती मदद के लिये
क्यूँकि तुमको करना चाहिये था मुझे प्यार
जैसी मैं हूँ उससे
डूब रही जैसे समुंदर में
दर्द और भावनाओं के
अगर नहीं बचा सके तुम अब मुझे
जैसी मैं हूँ, मुझे रहने दो
यही सिर्फ़ तुमको समझने की हैं ज़रूरत
और मैं बहुत उम्मीद करती हूँ यह दर्द
अब चला जाये
यह अब मुझे प्रताड़ित कर रहा,
और मैं नहीं छुड़ा पा रहीं खुद को,
इसलिये मैं रोती और रोती ही जाती,
पर सिर्फ़ चाहती हूँ निकले अब बाहर
एक शान्त चीख़
एक शान्त चीख़