तुम पहले से कहीं अधिक याद आती हो और मैं किंकर्तव्यविमूढ़ हूँ
सुबह जागता और तुम्हारी याद लग जाती है
अब तो हर नए दिन का इंतज़ार तुम्हारे बिना जीने के लिए है
आईना झूठ नहीं बोलता, मैं पहले जैसा नहीं दिखता हूँ,
मुझे तुम्हारी याद आती है।
लोग मेरे निकट से हो कर निकल जाते हैं , उनका आना-जाना यंत्रवत होता रहता है
जीवन की लय मुझे गलत लगती है,
जब तुम थी तो बहुत अलग था,
हाँ जब तुम थी तो बात अलग थी।
तुम्हारे बिना जीना मेरे लिए अत्यंत कठिन है
मैं तुम्हारे आने की इंतज़ार कर रहा हूँ,
मेरे बेजान बदन को तुम्हारी ज़रूरत है
और मुझे नहीं पता कि तुम कहाँ हो,
अगर तुम नहीं जाती तो मैं कितना खुश रहता.....