क्या कहूँ तुम्हे?, होंठ मेरे सकपका गए,
दिल की धड़कन पगला गई।1
इनसान ही है कि कोई कहर?
तुझे देखकर मेरी दुनिया थरथरा गई!
क्या कहूँ तुमसे?
होंठ हैं सकपकाए
इन नर्म आँखों के सागर में ऐसा खोया मै,
किनारा भी अब याद नहीं
देखी मैने तेरी माया,
जो कहर तूने बरसाया,
अंधेरा कर दिया तूने,
किसी और को न मै देख पाया।
मर ही जाऊँगा शायद,
जो तूने मुझे तड़पाया।
अब आकर देख,
यह तूने क्या किया?
चुराके दिल मेरा,
अपना तूने बना लिया।
अब काबू नहीं इस पर मेरा,
दीवाना तूने बना दिया,
तू है वो आग, जिसने मुझे जला दिया।
सच पूछो तो कहूँगा, कहर तूने बरसा दिया।
मेरे ख्वाबों में,
और दिल में आकर,
मेरे हर अक्स में समाकर,
कायल कर दिया इन आँखों का,
कहूँ कैसे बताकर?
तारीफ़ तेरी मुमकिन नहीं, तू है सोंच के परे,
तभी तो तेरे प्यार में, दीवाना हुआ यह शायर।
1. वास. दिल की धड़कन छूट गई