बलिदानो (बलिदानो)
आहूतीयो (आहूतीयो)
से जन्मी, यह गाथा
बरसो से, चलती है
बदले की… यह ज्वाला
या मृत्यु उस महा
समर की जननी है जिसका
वर्णन सृष्टी करती
क्या अंबार की नगरी
से वो रखवाला आया
जिसके पाओं चूमे धरती
बलिदानी, क्या नीयती
अछमे-में है सक्षम
नस नस में, जो खोले
वो लहू है शिवम, शिवम