प्रिय , मुझसे प्रयोजन मत पूछो
उस प्यार का जो मुझे प्रताड़ित करता है
सच्ची लगन की कोई वजह नहीं है,
न ही कोई इसको ढूंढ़ता फिरता है
यह संताप है या आनंद है
यह मनोभाव कभी भी प्रकट हो सकता है
मुझे तुम क्यों अच्छी लगी, मुझे कुछ पता नहीं
क्योंकि मैंने तो कुछ भी नहीं किया
अगर प्यार ने मुझे गवां दिया
इसमें मेरा क्या दोष है?
कि मैंने तुम्हे इस तरह चाहा?
प्यार किसी का हुकम नहीं मानता
यह आश्चर्य से प्रकट होता है।
मुझे तभी पता चला जब मैंने तुम्हें देखा था
मैंने तुम्हारी ओर देखा और आसक्त हो गया
इस दुनिया में कोई नहीं जानता
प्रेम का स्वरूप!
किसी को नहीं पता कि किस्मत का निवास कहां है,
बुरी सज़ा का अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता
और प्यार, जब वह आता है,
हमें इसके आगे कुछ पता नहीं होता
कि यह क्या भाग्य ले कर आएगा
और प्यार, जब वह आता है,
हमें इसके आगे कुछ पता नहीं होता
कि यह क्या भाग्य ले कर आएगा