ओह, रात ही हैं मेरी दुनिया
शहर की लाइट्स,लिपि-पुती लड़कियाँ
दिन में कुछ नहीं रखता मायने
वो रात का समय हैं जो करता मनुहार
रात के समय , कोई संयम नहीं
दीवारों से निकले बाहर कुछ तोड़ के
पहन के सफ़ेद चले जहां तुम हो चलते
गली के रास्ते मेरी आत्मा के
तुम छीन लेते मुझे , तुम छीन लेते मेरा आत्म संयम
तुम करते मजबूर जियूँ सिर्फ़ रातों के ही लिये
इससे पहले सुबह आये, कहानी हो जाती पूरी
तुम छीन लेते मुझे , तुम छीन लेते मेरा आत्म संयम
एक और रात ,एक और दिन गुज़र जाये
मैं कभी ना कर सकूँ बंद सोचना क्यूँ
तुम मदद करते भूलने में मेरा किरदार निभाना
तुम छीन लेते मुझे , तुम छीन लेते मेरा आत्म संयम
मैं , मैं जीती हूँ रात के प्राणियों के बीच
नहीं मुझमें आत्मशक्ति कोशिश करूँ और लड़ूँ
नये कल के ख़िलाफ़, तो सिर्फ़ कर लूँगी यक़ीन ये
कल नहीं होगा कभी मेरे लिये
एक सुरक्षित रात, मैं जी रही हूँ मेरे सपने के जंगल में
मुझे पता ये रात नहीं हैं ऐसी जैसे दिखे
मुझे करना होगा यक़ीन किसी चीज़ पे, तो मैं करवा लूँगी खुद को यक़ीन उस पे
कि यह रात कभी नहीं जायेगी
ओह-ओह-ओह, ओह-ओह-ओह, ओह-ओह-ओह, ओह-ओह-ओह
ओह-ओह-ओह, ओह-ओह-ओह, ओह-ओह-ओह, ओह-ओह-ओह
ओह, रात ही हैं मेरी दुनिया
शहर की लाइट्स,लिपि-पुती लड़कियाँ
दिन में कुछ नहीं रखता मायने
वो रात का समय हैं जो करता मनुहार
मैं , मैं जीती हूँ रात के प्राणियों के बीच
नहीं मुझमें आत्मशक्ति कोशिश करूँ और लड़ूँ
नये कल के ख़िलाफ़, तो सिर्फ़ कर लूँगी यक़ीन ये
कल नहीं होगा कभी मेरे लिये
एक सुरक्षित रात, मैं जी रही हूँ मेरे सपने के जंगल में
मुझे पता ये रात नहीं हैं ऐसी जैसे दिखे
मुझे करना होगा यक़ीन किसी चीज़ पे, तो मैं करवा लूँगी खुद को यक़ीन उस पे
कि यह रात कभी नहीं जायेगी
ओह-ओह-ओह, ओह-ओह-ओह, ओह-ओह-ओह, ओह-ओह-ओह
तुम छीन लेते मुझे , तुम छीन लेते मेरा आत्म संयम
तुम छीन लेते मुझे , तुम छीन लेते मेरा आत्म संयम
तुम छीन लेते मुझे , तुम छीन लेते मेरा आत्म संयम…