आख़िरकार मैं जानती हूँ कि
वे क्या दावा कर रहे हैं, वे तो निश्चित रूप से
कहते हैं कि बदकिस्मती से
मैं वह नहीं हूँ जो तुम्हारी चाहत पर पूरी उतरती हूँ
मेरे प्यार!
मुझे सब सच-सच बता दो
जो कुछ भी है
मैं तुमसे विनती करती हूँ, मुझ पर रहम करो और बता दो
मेरी इस पीड़ा पर दया करो, मुझ पर दया करो
जिसे मैंने एकदम मान लिया, जबकि दुसरे उससे असहमत थे
और मेरी ज्योति तो तुम हो, कोई और नहीं
और तुम्हारा तिरस्कार मेरा सलीब बन सकता है
मुझे परवाह नहीं,
उन्हें मुझ पर हसने दो
उन्हें कहने दो कि
मैं तुम्हारी जीवनसाथी होने के लायक नहीं
मेरे प्यार!
मेरी आत्मा पर निर्भर करो
और सब सच कह दो
मैं तुमसे हाथ जोड़कर विनती करती हूं