लाख इस दिल को हम ने समझाया
दिल यहाँ फिर भी हम को ले आया
तुम्हारी महफिल में आ गये हैं
तो क्यों ना हम यह भी काम कर लें
सलाम करने की आरजू हैं
इधर जो देखो सलाम कर ले
यह दिल है जो आ गया हैं तुम पर
वो अगर ना, सच ये हैं, बंदापरवर
जिसे भी हम देख ले पलटकर
उसी को अपना गुलाम कर लेa
बहोत सी बातें हैं तुम को कहनी
बहोत सी बातें हैं हम को कहनी
कभी जो तनहा मिलो कहीं तुम
तो बातें हम ये तमाम कर ले
वह लैला-मजनू की हो मोहब्बत
के शिरी-फरहाद की हो उल्फत
जरा सी तुम जो दिखाओ जुर्रत
तो हम भी उन जैसा नाम कर ले