उड़ जाऊँ, काश ऊँचाइयों को मैं छू पाऊँ
चाँद पे मैं जाके रहूँगी
चलूँगी वहाँ आँखें मूँद
रास्ता जाने का लूँगी धुँध
बनाके रॉकट जाऊँ मैं मून
फ़ैमिली को बचाने ,मैं चाँद पर भी जाऊँगी
जा पाई तो क्या है ,प्यार बाबा को समझाऊँगी
सच्चा प्यार होता है अमर ,एहसास दिलाऊँगी
दिखाऊँगी काग़ज़ के कंदील के सपने हैं,
तो फिर मैं क्यूँ रूकूँ
ऐस्ट्रॉनॉट हूँ आसमान , तो मैं क्यूँ झुकूँ
हर पल करती जा रही है सच ,
मेरा यह ख़्वाब हसीन,
यह मशीन....
मंज़िल मेरी दूर अब हैं नहीं
मैं अब सभी को जल्द दिखाऊँगी
मिलने वाली हैं मुझे आज़ादी
डरना ना पर जी ,ओढ़ूँगी चंदा से जा कर मैं,
मैं लूँगी बाबा मैं दिखा दूँगी
उड़ जाऊँगी बेड़ियाँ को तोड़
है छाया मुझ पर एक जुनून
रॉकट में आ रही हूँ ... मैं मून....