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परछाई [Reflection] [Parchhaayi] [Transliteration]
परछाई [Reflection] [Parchhaayi] [Transliteration]
turnover time:2024-11-15 03:36:37
परछाई [Reflection] [Parchhaayi] [Transliteration]

देखो तो

जो मैं दिखती हूँ क्या मैं हूँ वही?

जाने ना यह कोई

चेहरे पे पहरे कई हैं मेरे दिल

छुपके भी

तुझसे कभी छुप ना सकूँगी मैं

सच कहूँगी ऐ मेरे दिल

है किसका चेहरा वो देखे है जो मुझको?

ऐ परछाई बतला तो कौन हूँ मैं सच में

ये जहान संग दिल बढ़ा

चुप हो जा ऐ दिल

सच ना बताना

पर कभी आए जब सुबह

खिल जाना ऐ दिल

दुनिया को महकाना

है किसका चेहरा वो देखे है जो मुझको?

ऐ परछाई, पहचाने ना क्यों मुझको?

क्यों रहूँ बन-बन के मैं? बनावट की दुनिया में

ऐ परछाई बतला तो, कौन हूँ मैं सच में

तू तोड़ के यह पिंजरा उड़ जा

इस जहान में जा बना तू अपनी जगह

क्यों ना कहूँ दिल की? क्यों ना मैं सुनूँ दिल की?

दुनिया की इन राहों पे चलूँ क्यों मैं?

राहें बनाऊँ मैं, अपना सच बताऊँ मैं

ऐ परछाई देखू तो कौन हूँ मैं सच में

ऐ परछाई देखू तो कौन हूँ मैं सच में

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