अगर रहोगे तुम सब अनुग्रह के युग में,
जान नहीं पाओगे परमेश्वर के स्वभाव को,
या हो नहीं पाओगे दूषित स्वभाव से आज़ाद।
अगर रहोगे तुम सब अनुग्रह की प्रचुरता में,
लेकिन पता नहीं तुम्हें परमेश्वर को कैसे जानें और संतुष्ट करें,
करते उस पर दयनीय रूप से विश्वास पर कभी न करोगे उसे प्राप्त,
पर कभी न करोगे उसे प्राप्त।
पढ़ लोगे जब तुम परमेश्वर के वचन,
कर लोगे जब तुम अनुभव उसके कार्यों को राज्य के युग में,
तो होंगे साकार सदियों के तुम्हारे सपने।
होगा अहसास तुम्हें कि आखिरकार देखते हो तुम परमेश्वर को अपने सामने।
होगा अहसास तुम्हें कि आखिरकार देखते हो तुम परमेश्वर को अपने सामने।
निहारोगे तुम जब उसे और सुनोगे उसकी बोली,
सराहोगे उसके कार्य और उसकी बुद्धि,
निहारोगे तुम जब उसे और सुनोगे उसकी बोली,
सराहोगे उसके कार्य और उसकी बुद्धि,
महसूस करोगे कि है वो कितना वास्तविक और सर्वशक्तिमान,
तब जानोगे तुम कि तुमने देखा
और पाया अपने से पहले आए लोगों से बहुत ज़्यादा।
जानोगे तुम क्या मतलब है उस पर विश्वास करने का
और उसके हृदय के पीछे चलने का।
अगर तुम अतीत को रखते हो पकड़ के
और करते हो परमेश्वर के दूसरे देहधारण को अस्वीकार या इनकार,
रहोगे खाली हाथ, बिना किसी चीज़ के,
और रहोगे दोषी उसके खिलाफ़ होने के।
सत्य को मानो, उसके कार्य के सामने खुद को करो प्रस्तुत,
और झुको परमेश्वर के दूसरे देहधारण और सर्वशक्तिमान के सामने,
और पाओ उसकी व्यक्तिगत रहनुमाई।
होगा तुम्हारे पास ज़्यादा, देखोगे तुम उस उत्कृष्ट सच्चाई को,
पाओगे तुम असल इंसानी ज़िंदगी को,
देखोगे ऐसे दर्शन जो देखे न होंगे तुमने पहले।
जब परमेश्वर करता है देहधारण, वो दिखाता है अपना स्वभाव,
ताड़ना और न्याय के ज़रिए।
इस नींव के साथ, वो लाता है ज़्यादा सत्य,
दिखाता है अभ्यास के ज़्यादा तरीके।
और ये करता है प्राप्त इंसान पर विजय, बचाता है उसे दूषित स्वभाव से।
राज्य के युग में परमेश्वर के कार्य के पीछे है यही चीज़।
होगा अहसास तुम्हें कि आखिरकार देखते हो तुम परमेश्वर को अपने सामने।
होगा अहसास तुम्हें कि आखिरकार देखते हो तुम परमेश्वर को अपने सामने।
“वचन देह में प्रकट होता है” से