अब तुम जब जागती हो
तो क्या करती हो।
तुम उन सभी सपनों का क्या करती हो
जो हमने पाल रखे थे और जो अब मर चुकें हैं।
तुम उन्हें अपने मन से कैसे निकाल बाहर करती हो
बिना रोए
तुम हमारे
इस इतने बड़े खालीपन के वक्त को कैसे भरती हो।
तुम्हें अब कैसा लग रहा है ?
तुम्हारी इस जीत को ले कर
क्या तुम्हें मुझे अपनी ज़िंदगी से निकालना
अधिक मूल्यवान रहा
मैं उम्मीद करता हूँ ऐसा ही हुआ होगा।
मैं बड़ी निष्ठा से कह सकता हूँ
कि तुम्हारे वर्तमान के लिए
मेरा अतीत बलि चढ़ गया
तुम मुझे जीवन भर धोखा दे सकती हो
सबको बताकर कि तुम मुझे पसंद नहीं करती ।
लेकिन अगर मुझे कोई बात परेशान करेगी
तो यह कि तुम्हें दिन का उजाला अच्छा नहीं लगता
क्योंकि रात भर तुम मुझे याद करती रही थी
मुझे यह जान कर ख़ुशी होगी
कि मेरा दुर्भाग्य व्यर्थ नहीं था
कि तुम्हें प्यार देने वाले हाथ मिलें हैं
जो विश्वासघात नहीं करेंगे
लेकिन अगर तुम्हारी रोनी सूरत तुम्हारी उदासी ब्यान कर रही है
तो तुम वहां क्या कर रही हो।
चली आओ मेरे पास