बेरहम थी पहले मैं यह मानती
सभी कहते थे मुझको जादूगरनी
लेकिन देखो आज कल हो गयी हूँ मैं बदल
समझी *जैसी करनी वैसी भरनी
(सच...हाँ)
अच्छा हैं मैं कर सकती हूँ जादू टोना
यह हुनर हमेशा था मेरे पास
अब मैं करती हूँ निडर इसका इस्तेमाल
उस पर,जो हैं तनहा बेसहारा और उदास
बेचारे बदनसीब लोग....
बेचारे बेबस....
इसको वज़न हैं घटाना
यह बेचारा दिल दीवाना
करना था...क्यों नहीं
बेचारे बदनसीब लोग....
इनके दुख इनके ग़म
रोके माँगते हैं वो भीख
और मैं करती थी उनको ठीक
पूछो कैसे...जादू से....
एक दो बार ऐसा हुआ
मेरी क़ीमत दे ना पाया
मेरे ग़ुस्से को कभी ना पाया रोक
बहरहम मैं थी तब भी,पर अब दयालु बन गयी
बेचारे बदनसीब लोग...
तुम हो ख़ूबसूरत ,तुम हो हसीन
तो फिर अपनी चाल का दिखाओ कमाल
बन जाओ नाज़नीन
वहाँ के लड़कों को ना पसंद हैं जो लड़की चलाती हैं ज़ुबान
सुनो वहाँ धरती पर ना चाहिए चुग़लबाज
अगर मुँह खोलो तो दिखाओ मुस्कान
ना चाहिए किसी को गुफ़्तगू या बातचीत
नौजवानो को तो लगता हैं यह शोर
चाहते हैं वो ऐसी नारी जो शर्मीली और प्यारी
जो रहेगी चुप और ना बोलेगी ज़ोर
बेचारी बदनसीब लड़की...
करो जल्दी फ़ैसला ,मेरे पास नहीं हैं वक़्त
और हैं बहुत सारा काम
तुम्हारी आवाज़ मेरा हैं काम
बेचारी बदनसीब लड़की ...
कड़वा हैं सच...
अगर चाहिए मीठा फल तो तुझे चलाना होगा हल
जल्दी कर लो दस्तख़त
अब ना और गवाओ पल
मुझ संग देखा तुमने क्या चलायी हैं अक़्ल
फँसा दिया हर बदनसीब को
जजंतर ममंतर कर जादू ...वरना मैं भड़की
आग और पानी को मिलाके बना दे इसको लड़की
अब गाओ...
गाती रहो....