पोईसन ओक,एक नौजवान की बहादुरी
जब टेलीफोन था बस टिन केन तार से जुड़ा
सो जाता मैं और तुम करते रहते मुझसे बात
तुम कहते नहीं डरते तुम मरने से
पोलरोईड्स में थे तुम औरत के कपड़ों में
क्या किया गया था तुमको शर्मिंदा,क्यूँ तुमने बंद रखा था उनको ड्रॉर में?
नहीं लगता मुझे की इससे ज़्यादा प्यार किया होगा तुम्हें मैंने
और फिर जब चले गये तुम मुँह फेर के
जब किया तुमने मुँह पे दरवाज़ा बंद
जब तुमने चुरा ली थी कार
और निकल पड़े थे तुम मेक्सिको की तरफ़
और भेजे कुछ ग़लत चेक
सिर्फ़ अपनी बात पहुँचाने के लिये
में था बहुत छोटा,समझ चुका था यह हैं जंग
वेल,होने दो शर्मिंदा कुछ कवियों को भी
और उनके शब्द बन जाएँगे आँसू की भाप
मगर मैं अकेली जान
बुरा कहने के कगार पर
एक कीचड़ की ज़मीन जहाँ था एक बग़ीचे
और मैं खुश हूँ तुम निकल गये यहाँ से
मगर मैं फँसा हूँ अभी भी यही
कपड़े मेरे अभी भी लत पत
तुम्हारे भाई के आँसुओं से
और मैंने नहीं सोचा था ये जीवन हैं मुमकिन
तुम हो वो उम्मीद की किरण जिसका था मुझे इंतेज़ार
पक्षपात का अब अंत
खड़ा रहा मैं बुत की तरह
अब मैंने पी लिया बहुत ज़्यादा शराब बैठ एक पियानो बेंच पे
और जब बजाऊँ धुन
हो जाती सब ग़लत
अकेलापन का संगीत करता मुझे खुश