नैना, जो साँझ ख़ाब देखते थे नैना
बिछड़ के आज रो दिए हैं यूँ
नैना, जो मिल के रात जागते थे नैना
सहर में पलकें मीचते हैं यूँ
जुदा हुए कदम, जिन्होंने ली थी ये क़सम
"मिल के चलेंगे हरदम," अब बाँटते हैं ये ग़म
भीगे नैना, जो खिड़कियों से झाँकते थे नैना
घुटन में बंद हो गए हैं क्यों?
साँस हैरान है, मन परेशान है
हो रही सी क्यों रुआँसा ये मेरी जान है?
क्यों निराशा है? आस हारी हुई
क्यों सवालों का उठा सा दिल में तूफ़ान है?
नैना, थे आसमान के सितारे नैना
ग्रहण में आज टूटते हैं यूँ
हो, नैना, कभी जो धूप सेकते थे नैना
ठहर के छाँव ढूँढते हैं यूँ
जुदा हुए कदम, जिन्होंने ली थी ये क़सम
"मिल के चलेंगे हरदम," अब बाँटते हैं ये ग़म
भीगे नैना, जो साँझ ख़ाब देखते थे नैना
बिछड़ के आज रो दिए हैं
नैना, नैना