तुम हो जैसे नाज़ुक कोई कली
छोटा सा एक अंकुर अभी भी
मीनार में हम क्यूँ रेहते हैं तुम जानती हो
तुम्हारी ही भलाई के लिये
मुझको तो इसी दिन का डर था
जब तुम छोड़ के जाओगी मुझे
जल्दी क्या हैं ? जान..
मेरी बात मानो
हाँ माँ सब जानती हैं
हाँ माँ सब जानती हैं
मानो मेरी बात
क्या हैं बाहर की दुनिया मे
हाँ माँ सब जानती हैं
बुरे हैं हालात बच के रहना उस दुनिया से
गुंडे लफ़ंगे ज़हरीले पौधे जंगली जानवर और बीमारियाँ
कीड़े और मकोड़े दानव डरावने
अब बस मुझे और कुछ ना कहना
माँ के पास आओ
माँ तुझे सम्भालेंगी
वादा ये करती हूँ मैं
बंद करो ड्रामा,कहती हैं मम्मा
हाँ माँ सब जानती हैं
हाँ माँ सब जानती हैं
अक़्लमंद जो ठहरी
तुम तो हो अभी भी नादान
मेली कुचेली बेफ़िक्र निराली
अकेली हो जाओगी परेशान
बेवक़ूफ़ और भोली
ख़्यालों में खोयी
भुलक्कड़ और थोड़ी पगली सी
मुझे लगता हैं तू हो रही हैं मोटी
मेरी प्यारी बिटिया रानी
हाँ माँ हैं समझदार
ममता से भरी
बस एक यही ख़्वाहिश हैं
भूल ना जाना माँ का कहना
हाँ माँ सब जानती हैं