आख़री बार जो देखा था उसने
चाँदनी रात की परछाई के द्वारा दूर ले जाते
लग रहा था वो कुछ घबराया ख़तरे में
चाँदनी रात की परछाई के द्वारा दूर ले जाते
गुम शनिवार रात नदी में
बहुत दूर नदी के उस पार
वो था एक ख़तरनाक विवाद के बीच
ना समझी वो कैसे पहुँचे उस तक
पेड़ जो फुसफुसाते शाम को
चाँदनी रात की परछाई के द्वारा दूर ले जाते
गाओ गीत मातम और दुःख का
चाँदनी रात की परछाई के द्वारा दूर ले जाते
देखी सिर्फ़ उसने छाया बंदूक़ की
दूर कहीं दूसरी दुनिया के पार
गोली चली थी उस पर छे बार
एक भागते आदमी के हाथों
ना समझी वो कैसे पहुँचे उस तक
मैं ठहरू
मैं प्रार्थना करूँ
मिलूँ तुम्हें स्वर्ग में दूर कही
मैं ठहरू
मैं प्रार्थना करूँ
मिलूँ तुम्हें स्वर्ग में एक दिन
सुबह चार बजे
चाँदनी रात की परछाई द्वारा दूर ले जाते
देखा तुमको आकार लेते
चाँदनी रात की परछाई के द्वारा दूर ले जाते
सितारे ढलने लगे धीरे धीरे चाँदी सी रात में
दूर कहीं दूसरी दुनिया के उस पार
क्या आओगे तुम मुझसे बात करने आज की रात?
पर वो ना समझी कैसे पहुँचे उस तक
मैं ठहरू
मैं प्रार्थना करूँ
मिलूँ तुम्हें स्वर्ग में दूर कही
मैं ठहरू
मैं प्रार्थना करूँ
मिलूँ तुम्हें स्वर्ग में एक दिन
दूर कहीं दूसरी दुनिया के उस पार
बीच में अटकी एक सौ पाँच के
रात थी बोझिल पर हवा थी ज़िंदादिल
पर वो ना समझी कैसे पहुँचे उस तक
चाँदनी रात की परछाई के द्वारा दूर ले जाते
चाँदनी रात की परछाई के द्वारा दूर ले जाते
दूर कहीं दूसरी दुनिया के उस पार