शीशे के पार पर्वत हज़ार
खोया कहाँ है तू
चल जा ज़रा और नये रंग सजा
क्यूँकि रेन्बो का एक रंग है तू
गाने के तुझ जैसे हे हमारा मन
मन के पर्दे खोल तू बोल मीठे बोल
ना कल का पता फिर भी ख़ुश हम सदा
क्यूँकि हम तो है फिर भी
चाहे ख़ुशी हो या गम हर पल संग हे हम
कहना ना अलविदा जब तक हे दम में दम
जब गहरी होगी रात और ख़त्म होगी बात
उस दिन से लेके आज मेरे हो तुम
मेरे हो तुम