मॅन मोहना आ आ... मॅन मोहना आ आ...
कान्हा सुनो ना आ आ...
तुम बिन पाऔ कैसे चैन, तरसू तुम्ही को दिन रैन
छ्चोड़के अपनी काशी मथुरा -2, आके बसो मोरे नैन
तुम बिन पाऔ कैसे चैन, कान्हा आ... तरसू तुम्ही को दिन रैन
एक पल उजियारा आए, एक पल अंधियारा छ्चाए
मॅन क्यूँ ना घबराए, कैसे ना घबराए
मॅन जो कोई दोराहा अपनी राहों में पाए, कौन दिशा जाए
तुम बिन कौन समझाए - (2)
रास रचाइया बृंदावँ के गोकुल के बासी
राधा तुम्हरी दासी, दर्शन को है प्यासी
श्याम सलोने नंद लाला कृष्णा बनवारी, तुम्हरी च्चब है न्यारी
मैं तो हू टन मॅन हारी - (2)
मॅन मोहना आ आ... मॅन मोहना आ आ.... मॅन मोहना....
कान्हा सुनो ना आ आ....
तुम बिन पाऔ कैसे चैन, तरसू तुम्ही को दिन रैन
जीवन एक नादिया है लहरो लहरो बहती जाए
इसमे मॅन की नैया डूबे कभी तार जाए
तुम ना खेवैीया हो तो कोई तट कैसे पाए, मजधार रहलाए
तो तुम्हरी शरण आए, हम टुंरी शरण आए
मैं हू तुम्हारी, है तुम्हारा यह मेरे जीवन
तुमको ही देखु मैं, देखु कोई दर्पण
बंसी बन जवँगी, इन होतों की हो जवँगी
इन्न सपनो से जलताल, है मेरा मॅन अगन
हैं मेरा मॅन ह्म ह्म...