क्या है आज़ादी? होती है जंग क्या?
कहती है आँखें मेरी
मिट्टी से अपनी अपनों के दम से चलती हैं साँसें मेरी
मैंने मन से अपने पूछा
क्या वतन की खातिर करूँ?
उसने पूछा क्या, तू है सच्चा?
क्या वफा है? बहादुर है तू?
क्या वफा है? बहादुर है तू?
हार है आसान, जीत है मुश्किल
मन को मनाती हूँ
सारे जहान में, कौन है अपना?
किसको पराया कहूँ?
मैंने मन से अपने पूछा
क्या वतन की खातिर करूँ?
उसने पूछा क्या, तू है सच्चा?
क्या वफा है? बहादुर है तू?
क्या वफा है? बहादुर है तू?
जलूँ और बुझाऊँ, दहकती चलूँ
मंज़िल से आगे, मैं बढ़ती रहूँ
है जोर मुझमें? या कमजोर हूँ?
मैं लड़ती रहूँ
जो बुरा है जो भी है अच्छा
जो भी हूँ रूबरू तेरे हूँ
ऐ वतन मै मन मेरा सच्चा
कि वफा है, बहादुर भी हूँ