मैं हर उस चीज के खिलाफ खड़ा हो गया
जो तुम्हें हानि पहुँचा सकती थी
उन यादों के खिलाफ़
जिन्होंने तुम्हें रुला दिया।
मैंने अपने होठों से पोंछे
तुम्हारे चेहरे से आँसू
और तुम्हारे साथ पिआ
उसी दु:ख को
मैंने लड़ाई लड़ी
उन विश्वासघाती नज़रों से
जिन्होंने तुम्हारे शरीर को लपेटा हुआ था
कागज़ी प्रलोभन में
और मैं उन घड़ियों को लम्बा करना चाहता था जब तम हंसती थी
तुम्हें अपने दिल का हिस्सा बना कर।
और तुमने क्या किया
तुम मेरे खिलाफ लड़ी , तुम अब यहाँ नहीं हो
तुम उसके साथ वापस आ गई हो
तुमने मेरी बाहों को धोखा दिया और मेरी सच्ची चाहत को
खुद को खुश करने के लिए।
जिंदगी ऐसी ही है
मैं तुम्हारे खातिर सब कुछ करता रहा और मेरा नसीब देखो
दोनों मेरे खिलाफ हैं।
और तुमने क्या किया
तुमने मेरे खिलाफ लड़ाई लड़ी...(दोहराव)