माना की मैं हूँ बुरा
माना की मैं क़ाबिल भी नहीं
फिर भी एक बार ज़रा
भरोसा करो तुम सही
मौक़ा दो कि मैं कुछ कर सकूँ
इतना क़ाबिल बनूँ
कि हवा को नाज़
अब रुकूँगा ना मैं कभी
करना होगा आपको यक़ीन
ना मानूँगा मैं हार
और मैं लौटूँगा, पूरा काम अब कर के ही
शायद तब आप मानोगे कि मैं नहीं हूँ इतना बेकार
ग़लतियाँ की हैं बड़ी
दिल आपका भी दुखाया हैं
चट्टाने भी हो खड़ी
गिरा दूँगा मैं उन्हें अभी
जीत लूँगा मैं तो दिल आपका
चाहे हो जाऊँ मैं फ़ना
होगा आपको नाज़
और होगा ऐतबार भी
दिखा दूँगा मैं पहले सा नहीं
हूँ बदल गया
नया जोश हैं
लौटूँगा मैं तो जीत कर ही
आप हैरान आँखों से देखोगे
अपने बेटे का यह रूप नया
चमकेंगी आँखें जब देखोगे
मेरा रूप नया