रात की बर्फ़ीली चादरें नामोनिशान ना कोई
अब तनहा इस जहाँ की, मलिका मैं हो गई
इस आंधी जैसा तूफ़ान दिल में चल रहा
रुके न रुका, जाने आसमान
मैं हूँ जो भी, देखे ना कोई
चाहा सब ने, तोह मुझसे बस यह ही
मैं हूँ जैसी, जाने न वह
तोह अब जानो
फ़ना हो, फ़ना हो
बंदिशें सब फ़ना हो
फ़ना हो, फ़ना हो
हदें सारी फ़ना हो
कहने दो, लोगों को जो कहना हैं
ना रुके तूफ़ान
डर नहीं बर्फ़ीली रातों का
हो थोड़ी सी जब दूरियाँ
मुश्किल लगे आसान
जो डर की थी सलाखें, उनका न कोई निशान
यह पल हैं वह, कहे हैं जो:
"अपनी हदों को तुम तोड़ो"
सही-गलत की ना परवाह
हूँ आज़ाद
फ़ना हो, फ़ना हो
मैं हवा, मैं आसमान
फ़ना हो, फ़ना हो
ऐ आँसू, अलविदा
मैं यहां, मेरा यह जहां
ना रुके तूफ़ान
आहात से मेरी गूंजे यह ज़मीन-आसमान
बर्फीली रूह मेरी बिखरी हैं यूँ हर जगह
खयाल हर एक मेरा जैसे सख्त अंगार
ना, मुड़के देखूँ ना
हाँ, कल को कल छोड़ा
फ़ना हो, फ़ना हो
हूँ मैं सूरज उजला सा
फ़ना हो, फ़ना हो
कल जो थी वह हूँ ना
मैं जहा, रौशनी वहा
ना रुके तूफ़ान
डर नहीं बर्फ़ीली रातों का