दिन की पहली ख़ुशी
धूप का रिबन है
जो तुम्हारे हाथ पर लिपटा हुआ है
और मेरे कन्धे को सहला रहा है
यह समुन्द्र से आने वाली मन्द समीर है
प्रतीक्षा करता हुआ समुन्द्र तट है
यह वह पक्षी है जिसने अन्जीर के पेड़ की टहनी पर बैठे हुए
एक गीत गाया
दिन की पहली सकपकाहट
एक दरवाज़ा जो बंद हो जाता है
एक वाहन जो रवाना हो जाता है
एक चुप्पी जो छा जाती है
पर जल्दी ही तुम वापस आ जाते हो
और मेरा जीवन अपनी दिनचर्या में लग जाता है
दिन की आखरी ख़ुशी आती है
जब बत्ती बुझ जाती है