ऐ हे जी रे!
उड़े उड़े मन उड़े,
पर लगे तेरे संग जुड़े
मन उड़े पग बढे तेरी ओर बढे,
जग छोड़ बढे
ऐ लहू मुंह लग गया,
सोया था नस नस में अब ये जग गया
लबो के छूने से,
ख्वाबो के कोने से
बचके सब से लब से लब ये रग से रग गया
भटक रही है आँख ये मलंग अंग अंग अंग
अटक गयी हैं सांस उसके संग संग संग संग
कल कल बहता था छल छल रहता था
तान लेके जाने कब गया
लब से लब ये लब लब से लहू मुंह लग गया