मुझे नहीं पता कि तुम कौन हो सकते हो, मुझे नहीं पता कि तुम क्या होने की उम्मीद करते हो
मैं हमेशा तुम्हे जानने की कोशिश कर रही हूं और तुम्हारी चुप्पी मेरी चुप्पी को परेशान करती है
मुझे नहीं पता कि झूठ कहां से आते है, क्या इसकी वजह तुम्हारी आवाज है जो चुप है?
दुनिया जहां मैं इच्छा के विरूद्ध गोताखोरी कर रही हूं एक दिल दहलाने वाली सुरंग की तरह हैं
तुम्हारी और मेरी इतनी दूरी है कि हम बहुत बार खो जाते हैं
और तुम्हे समझने की कोशिश करना हवा के पीछे दौड़ने जैसा है़
मुझे नहीं पता कि मैं समुद्र में क्यों रह रही हूं जो मुझे डुबा रहा है
मुझे नहीं पता कि मैं एक ऐसी हवा में क्यों रह रही हूं जो मेरा दम घोंट रही है
तुम मेरे घाव का खून हो, तुम मेरी जलन की आग हो
तुम मेरा अनुत्तरित प्रश्न हो मेरा मूक रुदन और मेरी चुप्पी।