परित्यक्त समुद्र तट पर
कौड़ियाँ और शंख
किसने सोचा होगा कि वे गर्मी की ऋतू के अंत का खेद प्रकट कर रहे हैं
उन्हें खेद है कि यह सुहावनी ऋतू बीत चुकी है
हम छुट्टियों से सम्बंधित वस्तुओं को
कार्डबोर्ड से बने बक्सों में संभाल चुके हैं
बड़ा दुःख लगता है यह सोच कर कि सूरज और गीतों का मौसम बीत गया है
हालांकि मुझे पता है कि अगले साल
फूल फिर से खिलेंगे और हम फिर समुद्रतट पर आएंगे
लेकिन इस दौरान मैं दुःख में हूँ कि
समुद्र और अपने घर को छोड़ कर जा रही हूँ
उत्तरी पूर्वी हवा चलती रहेगी
पर समुद्र में पालनावें नहीं होंगी
मेरे अव्यवस्थित बाल
मुझे इसकी सबसे अधिक याद दिलाएंगे
सूरज जो मेरा पक्का दोस्त है
मुझ पर दूर से अपनी रौशनी डालेगा
यह सोच कर कि हम गुस्से में हैं
एक दुसरे से बिछड़ कर
रेलगाड़ी मुझे शरद ऋतु की ओर ले जाएगी
और मैं अपने शहर को बारिश में मिलूंगी
मेरी विकलता किसी के लिए नहीं होगी
मैं इसे अपने पास रखूंगी एक दोस्त की तरह
लेकिन गर्मियों के पहले दिनों में ही
हमारी उदासी शेष नहीं रहेगी
और हम कस्तूरा के साथ जश्न मनाने के लिए वापस लौट आएंगे।
धूप में समुद्र तट पर
धूप में समुद्र तट पर
धूप में समुद्र तट पर