तुम जानते हो कि मैं अनेक स्थानों पर भटक चुकी हूँ
मैंने अन्य समुद्रतटों को देखा है
और उन्हें भूल चुकी हूँ
तुम्हें पता है, मैंने तूफानों को देखा है
जो किसी भी उम्र में ज़िंदगी में आ जाते हैं
गर्मियों के अंत में
मुझे इसी वजह से हैरानी हो रही है कि
मैं यहां तुम्हारे साथ क्यों रुक गई
आज रात बारिश में
हालाँकि यह समूद्रतट पहले वाले समुद्रतटों से भिन्न नहीं
लेकिन अब मैं पहले जैसी नहीं हूं
मुझ में यह कैसा परिवर्तन आ गया है ?
मुझे पता है कि तुम इस समूद्रतट को भूलना चाहते हो
और अन्य जगहों के आकर्षण में
तुम यहां का सब कुछ छोड़ कर जाना चाहते हो
और मैं अकेली, बिलकुल अकेली
इस वजह की तलाश कर रही हूँ
कि आखिर कौन तुम्हे मुझ से दूर ले जा रहा है
शायद हमेशा के लिए
बारिश मेरे चेहरे को भिगो रही है
और मेरे आँसू जिन्हे मैं रोक नहीं पा रही
बारिश में घुलमिल गए हैं
फिर भी , मैं तुम्हें एक बार और
कहना चाहती हूँ : "मुझे तुम से प्यार है "
अगली गर्मियों तक!