या निज़ामुद्दीन औलिया,
या निज़ामुद्दीन सलक़ा
क़दम बढ़ा ले
हदों को मिटा ले
आजा ख़ालीपन में, पी का घर तेरा
तेरे बिन ख़ाली, आजा, ख़ालीपन में
रंगरेज़ा...
कुन फ़याकुन, कुन फ़याकुन
फ़याकुन, फ़याकुन
जब कहीं पे कुछ नहीं भी नहीं था
वही था, वही था
वह जो मुझ में समाया
वह जो तुझ में समाया
मौला, वही वही माया
कुन फ़याकुन, कुन फ़याकुन
सदक़ अल्लाह उल अली उल अज़ीम
रंगरेज़ा रंग मेरा तन, मेरा मन
ले ले रंगाई चाहे तन, चाहे मन
सजरा सवेरा मेरे तन बरसे
कजरा अंधेरा तेरी जलती लौ
क़तरा मिला जो तेरे पर से
ओ मौला
कुन फ़याकुन
कुन फ़याकुन
सदक़ अल्लाह उल अली उल अज़ीम
सदक़ रसूलुहुन नबी उल करीम
सल्ल अल्लाहु अलइहि व सल्लम....
ओ मुझपे करम सरकार तेरा
अर्ज़ तुझे, कर दे मुझे, मुझसे ही रिहा
अब मुझको भी हो, दीदार मेरा
मन के मेरे ये भरम
कच्चे मेरे ये करम
लेके चाले है कहाँ
मैं तो जानूं ही न
तू है मुझमें समाया
कहाँ लेके मुझे आया
मैं हूँ तुझमें समाया
तेरे पीछे चला आया
तेरा ही मैं एक साया
तूने मुझको बनाया
मैं तो जग को न भाया
तुने गले से लगाया
अब तू ही है ख़ुदाया
सच तू ही है ख़ुदाया