जनगणमन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता
पंजाब सिंधु गुजरात मराठा द्राविड उत्कल बंग
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छल जलधितरंग
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मागे
गाहे तव जय गाथा
जनगणमंगलदायक जय हे, भारत भाग्यविधाता
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे ।।१।।
अहरह तव आव्हान प्रचारित सुनि, तव उदार वाणी
हिंदु बौद्ध सिख जैन पारसिक मुसलमान खिस्तानी
पूरब पश्चिम आसे, तव सिंहासन पासे
प्रेमहार हय गाथा
जनगणऐक्यविधायक जय हे, भारत भाग्यविधाता
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे ।।२।।
पतनअभ्युदयबंधुर पंथा युगयुग धावित यात्री
तुम चिर सारथी, तव रथचक्रे मुखरित पथ दिन रात्री
दारुण विप्लव माजे, तव शंखध्वनि बाजे
संकट दुःखयात्रा
जनगण पथ परिचायक जय हे, भारत भाग्यविधाता
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे ।।३।।
घोरतिमिरघननिबिड निशीथे पीडित मूर्छित देशे
जागृत छिल तव अविचल मंगल नत नयने अनिमेषे
दु:स्वप्ने आतंके, रक्षा करिले अंके
स्नेहमयी तुमी माता
जनगण दु:ख त्रायक जय हे, भारत भाग्यविधाता
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे ।।४।।
रात्र प्रभातिल उदिल रविच्छवि पुर्व उदयगिरि भाले
गाहे विहंगम पुण्य समीरण नवजीवन रस ढाले
तव करुणारुण रागे, निद्रित भारत जागे
तव चरणे नत माथा
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे, भारत भाग्यविधाता ।।५।।