मुझमें अभी भी मौन में जाने की प्यास है
और दौर्बल्य के पल
मुझे बचपन में वापस ले आते हैं
जहां सब कुछ नया है
सब कुछ सहज है
मुझे में अभी भी थोड़ी सी बेपरवाही बची है ।
और साहस भी
आख़िरकार आस्था हासिल करने की
जब सब कुछ इतना विषादपूर्ण है
मायूसी ही मायूसी है
तो
मैं फिर भी जाऊंगा।
पहाड़ों के ऊपर
और मैदानों से परे
तो
मैं फिर भी जाऊंगा।
सिर्फ़
खुद को साबित करने के लिए
कि प्यार है
मेरे अंदर अभीप्सा है सत्य जानने की
एक पथ को अंगीकार करने की
और पूरी आस्था से उसका पालन करने की
जीवन में एक नया पन्ना पलटने की
मेरे शरीर में अभी भी आग है
ताकि ठंडी मेरे ज़हन में न आए
और फिर से आगे बढ़ने की ताकत है
ताकि कुछ भी मुझे ठंडा न कर सके
और मुझे किसी से भय न लगे