अगर तुम न होते
प्राणप्रिय , मुझे घर का दरवाज़ा भी नज़र न आता
मैं घर के फर्श को भी न देख पाती
मैं उदास और निस्तेज हो जाती
अगर तुम न होते
अगर तुम न होते
प्राणप्रिय , रात मुझे जगता हुआ देखती
दिन तो ज़रूर चढ़ता
पर यह नया नहीं होता
अगर तुम न होते
अगर तुम न होते तो मेरा आसमान गिर जाता
बारिश भी इकट्ठी हो जाती
तुम्हारे प्यार के बिना मैं कहीं नहीं होती
अगर तुम न होते तो मैं खो जाती
अगर तुम न होते
सर्दियों में कोई वसंत नहीं होता
रॉबिन को गाते हुए न सुन पाती
मैं तो कुछ करने लायक न रहती
अगर तुम न होते
अगर तुम न होते तो मेरा आसमान गिर जाता
बारिश भी इकट्ठी हो जाती
तुम्हारे प्यार के बिना मैं कहीं नहीं होती
अगर तुम न होते तो मैं खो जाती
अगर तुम न होते
सर्दियों में कोई वसंत नहीं होता
रॉबिन को गाते हुए न सुन पाती
मैं तो कुछ करने लायक न रहती
अगर तुम न होते
अगर तुम न होते