ओह,मैं हूँ गड़बड़,पूरी तरह
ढूँढता कोई जिसे कर दूँ प्यार में समर्पित, मगर ये नहीं हैं अंत
मैं नहीं समझ पा रहा ,कैसे?
गुज़र रहा हूँ इस दौर से,हमारे रिश्ते से
पहचानता हूँ इसको लम्बे समय से
और मेरी सभी उम्मीदें,सभी शब्द
पाता हूँ,लिखे हुए संकेतो में
जब चलती तुम साथ मेरे घर के रास्ते
घर, घर ,घर ,घर ,घर
पहचानो मेरी आँखों में ज्वाला
धधकती तेज़ी से चाहती तुम्हारा प्यार,नो
आराम से बेबी, शायद हूँ मैं जी उठा
आज रात के पहले मैं डूबना चाहता हूँ प्यार में
मुझ पर करो तुम भरोसा
कर दी मैंने इस बार गड़बड़,कल देर रात
छुपाने प्यार की निष्ठा शराब को उँगलियों में थामे
मैं नहीं भूला पा रहा हूँ इस जज़्बात को,अब
गुज़र रहा हूँ इस दौर से,आशा करता तुम रोक लो इसे
वैसे मैंने सिर्फ़ तुमको दर्द ही दिया
पर तुमको हैं पता मेरे सभी शब्द हमेशा ही हैं मेरा प्यार
भले ही बोले हमने कितने ही झूठ
जब चलती तुम मेरे साथ मेरे घर के रास्ते
घर, घर ,घर ,घर ,घर
पहचानो मेरी आँखों में ज्वाला
धधकती तेज़ी से चाहती तुम्हारा प्यार,नो
आराम से बेबी, शायद हूँ मैं जी उठा
आज रात के पहले मैं डूबना चाहता हूँ प्यार में
मुझ पर करो तुम भरोसा
आख़िर कब तक मैं करूँगा प्रेम अपनी प्रेमिका से
अब,अब,कब तक,लम्बे समय तक अपनी प्रेमिका से
अब,अब,कब तक,लम्बे समय तक अपनी प्रेमिका से (और मुझे महसूस हुआ प्यार)
आख़िर कब तक मैं करूँगा प्रेम अपनी प्रेमिका से (महसूस करो दोबारा ,अब और मुझे महसूस हुआ प्यार)
आख़िर कब तक मैं करूँगा प्रेम अपनी प्रेमिका से
अब,अब,कब तक,लम्बे समय तक अपनी प्रेमिका से