छुट्टी कर दे आओ दुश्मन की सारे
भेज दी लड़कियाँ क्यूँ ,माँगे थे लड़के
खुद कमज़ोर बुज़दिल तुम सारे
लगा लो शर्त की जल्दी ही ,
मैं तुम में ढूँढूँगा मर्द भी
खामोशी जंगल सी पर हो आग दिल में
जो दिशा मिल जाए ,क्यूँ नहीं जीतोगे
ना हैं दम तुम में ना हिम्मत
ना जानी अपनी शक्ति
मैं तुम में ढूँढूँगा मर्द भी
मेरी साँसे उखड़ती जाए
(जाने वालो..अलविदा)
(क्यूँ मैंने स्कूल मैं कसरत नहीं की)
(अरे ,बच्चे की जान लेगा क्या)
अच्छा हैं वो सच जानता नहीं
काश मैंने तैरना सीखा होता
बता लो
(नदी सी तेज़ी ...खुद में ले आओ)
जागा लो....
दिल मैं अपनी हिम्मत जगाओ
जगा लो.....
*अगन मैं तप के सोना बन जाओ
भीतर की अपनी ताक़त को जानो
वक्त नहीं हैं बाक़ी ,दुश्मन कब आ जाए
हुक्म माने जो मेरा,शायद वो बच जाए
नहीं तुम में हैं लड़ाई का बल ,घर जाओ
यह काम हैं बंद
मैं कैसे दूँगा ना मर्द तुम्हें..
मर्द बनो....
नदी सी तेज़ी खून में ले आओ
दिल में अपने हिम्मत जगाओ
अगन में तप के सोना बन जाओ
भीतर की अग्नि का तुम तो जानो
मर्द बनो
नदी सी तेज़ी खून में ले आओ
दिल में अपने हिम्मत जगाओ
अगन में तप के सोना बन जाओ
भीतर की अग्नि का तुम तो जानो
मर्द बनो