यह ज़िन्दगी थी खुशनुमा
और सबकुछ तो था मेरे पास
पर ज़िन्दगी में एक कमी सी थी मेरी
अब यह हुआ अहसास
ये दर्द कर गया हे घर
है छाया कैसा ये फ़ितूर
इस बुझे दिल में अँधेरा वो कर गयी
मेरा ही हे क़सूर
नज़दीकियाँ ना मिटेंगी
दुरियाँ बढ़ जाने से
मुझे तड़पाएगी आकर
मेरे ख़्वाबों ख़्यालों में
बेचैनी का हे ये आलम
उसके आने की हे आस
दिल को तसल्ली दूँगा मैं
आ जायेगी वो मेरे पास
है प्यार से नफ़रत मुझे
कमबख़्त ये दिल ज़िद पे अड़ा
बन के पंछी वो आसमान में उढ़ गयी
मैं हू ज़मीन पर खड़ा
नज़दीकियाँ ना मिटेंगी
दुरियाँ बढ़ जाने से
लौट आएँगी मेरी ख़्वाहिशें
उसके लौट आने से
बेचैनी का हे ये आलम
उसके आने की हे आस
दिल को तस्सली दूँगा मैं
रातों को अब जागूँगा मैं
तनहा ही रह जाऊँगा मैं
आए ना जब तक वो मेरे पास