और अब मैं क्या करूँगा
अपनी बाकी ज़िंदगी के दिनों का
उन सभी लोगों का जिनमें मुझे कोई दिलचस्पी नहीं
चूँकि अब तुम जा चुकी हो
सारी रातें किसलिए , किसके लिए
और यह सुबह फिर आई है बिना मतलब
यह दिल जो धड़क रहा है किसके लिए, किसलिए
ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा है
और अब मैं क्या करूँगा
किस शून्य की तरफ मेरी ज़िंदगी खिसक रही है
तुम मेरे लिए सारी दुनिया छोड़ गई हो
पर यह दुनिया तुम्हारे बिना छोटी सी है
आप, मेरे मित्रो, मुझे समझने की कोशिश करें
आप लोग भलीभांति जानते हो ऐसी हालत में कुछ नहीं किया जा सकता
अब तो पैरिस भी ऊब से मर रहा है
उसकी सारी गलियां मुझे मारने को आती हैं
और अब मैं क्या करूँगा
मैं इस पर हँसूँगा ताकि न रोऊँ
मैं सारी रातें जला दूंगा
सुबह होने पर मैं तुमसे नफरत करूंगा
और फिर एक शाम मेरे दर्पण में
मैं स्पष्ट रूप से सड़क के अंत को देखूंगा
बिना फूलों के, बिना आंसुओं के
विदाई का समय
मेरे पास वास्तव में कुछ और करने को नहीं है
मेरे पास और कुछ नहीं। ......