दुश्मन ना करे दोस्त ने वो काम किया है उम्र भर का गम हमें इनाम दिया है तूफां में हम को छोड़ के साहिल पे आ गये नाखुदा का हम ने जिन्हे नाम दिया है पहले तो होश छिन लिये जुल्म-ओ-सितम से दीवानगी का फिर हमें इल्ज़ाम दिया है अपने ही गिराते हैं नशेमन पे बिजलियाँ गैरो ने आ के फिर भी उसे थाम लिया है बनकर रकिब बैठे है वो जो हबीब थे यारों ने खूब फ़र्ज़ को अंजाम दिया है