सोयी रही मैं बहुत साल
सोयी रही मैं बहुत लम्बे समय के लिये
चमकीले आकाश में अकेले जहान में
तुम सबकी आँखें देखती ऊपर उठके मुझे
जैसे मैं हूँ पूरी तरह जागी हुई
और सिर्फ़ मैं ही जी सकती हूँ अपना श्राप
रख लूँगी सँभाल के तुम्हारा सपना
बनाके उसको जीने के क़ाबिल
केवल एक पल के लिये
भेज दूँगी एक मुरझाता हुआ गुलाब
तुम सबको नज़दीक लाने के लिये
उसकी ख़ुशबू के लिये जो नहीं थी कभी
सभी रंग फैलते हुए
सभी जादू चलते हुए
इस ज़िंदगी में बाटते हम इन कल्पनाओं में
रख लूँगी सँभाल के तुम्हारा सपना
बनाके उसको जीने के क़ाबिल
केवल एक पल के लिये
फिर से बोलो यह शब्द
मत छोड़ो मुझे अकेला
जब मेरे अपने सपने ही तोड़ चुके दम
रख लो मेरा सपना अब
मैं रख लूँ तुम्हारा सदा के लिये
ना छूटने दो मेरी उम्मीद अब
नहीं छूटने दूँगी मैं तुम्हारी कभी
थाम लो
मदद करो
ले चलो उठा के अपने पँखो पर
बचाने के लिये मेरी आत्मा
अपने प्यार से
रख लूँगी सँभाल के तुम्हारा सपना
बनाके उसको जीने के क़ाबिल
केवल एक पल के लिये
फिर से बोलो यह शब्द
मत छोड़ो मुझे अकेला
जब मेरे अपने सपने ही तोड़ चुके दम
रख लो मेरा सपना अब
मैं रख लूँ तुम्हारा सदा के लिये
ना छूटने दो मेरी उम्मीद अब
नहीं छूटने दूँगी मैं तुम्हारी कभी
थाम लो
मदद करो
क्या तुम बनोगे मेरे सपनो के रखवाले ?