कहो कि हम सब का मरना निश्चित है
कहो कि हमारी देह का सड़ना निश्चित है
दिल करता है कि मस्ती भरी हंसी के साथ दम घुट जाए
मैं अपने होठों पर मुस्कान के साथ सोना चाहता हूँ
कल वही है जिसके लिए सूरज उगता है
कहो कि हम सब का मरना निश्चित है
कहो कि हमारी देह का सड़ना निश्चित है
यह दौड़ धूप किस लिए ?
कल तुमसे प्यार करने में क्या रखा है ?
अन्त में तो मुझे अकेला ही होना है