क्या होता अगर तुम मुझ से विश्वासघात न करते
और मुझे रोना न पड़ता
मैं शायद तुम्हारे साथ होती
और बिलकुल न जान पाती की प्यार किया होता है
क्या होता अगर यह सब सुखद रहा होता
तुम्हारे गूढ़ झूठ के बीच
मेरे मंगलवार रविवार की तरह नहीं होते
और मैं एक चुम्बन का सच न जान पाती ।
हर चीज़ कुछ बतलाने के लिए घटती है
सभी चीज़ों की कोई वजह होती है
तुम पछता रहे हो और मैं तुम्हें भूल भी चुकी हूँ।
बिना जाने
तुमने मुझ पर एक उपकार किया है
खैर, तुम्हारे झूठ के दरवाजे थे
जहाँ से प्यार ने मेरे जीवन में प्रवेश किया
हर चीज़ कुछ बतलाने के लिए घटती है
सभी चीज़ों की कोई वजह होती है
तुम पछता रहे हो और मैं तुम्हें भूल भी चुकी हूँ।
मैं तुम्हें नफरत नहीं कर सकती
अगर मैंने तुमसे सीखा
जो मुझे हासिल हुआ हुआ है, उसके लिए मैं कुछ नहीं दूंगी
जब से मैंने तुम्हें खोया है